पद्मनन्दि पंचविंशतिका धर्मोपदेशामृत श्लोक 8 -13

श्लोक 8 अब आचार्य चार श्लोकों में दयाधर्म का वर्णन करते हैं- आद्या सव्रतसञ्चयस्य जननी, सौख्यस्य सत्सम्पदां, धर्मतरोरनश्वरपदा, रोहैकनिः श्रेणिका । मूलं कार्या सद्भिरिहाङ्गिषु प्रथमतो, नित्यं दया धार्मिकैः धिङ्‌नामाऽप्यदयस्य तस्य च परं, सर्वत्र शून्या दिशः ॥८॥ अर्थ-जो समस्त उत्तम व्रतों के समूह में मुख्य है तथा सच्चे सुख और श्रेष्ठ संपदाओं को उत्पन्न करने वाली […]

पद्मनन्दि पंचविंशतिका धर्मोपदेशामृत श्लोक 1-7

मंगलाचरण श्लोक 1 (स्त्रग्धरा) कायोत्सर्गायताङ्गो जयति जिनपतिर्नाभिसूनुर्महात्मा मध्यान्हे यस्य भास्वानुपरि परिगतो राजतेस्मोग्रमूर्तिः चक्रं कर्मेन्धनानामतिबहुदहतो दूरमौदास्यवात- स्फूर्यत्सद्ध्यानवतेरिव रुचिरतरः प्रोद्गतो विस्फुलिङ्गः ॥१॥ अर्थ-दोपहर के समय जिस आदीश्वर भगवान् के ऊपर रहा हुआ तेजस्वी सूर्य ज्ञानावरणादि कर्मरूपी ईंधन को पल भर में भस्म करने वाली तथा वैराग्यरूपी पवन से जलायी हुई, ध्यानरूपी अग्नि से उत्पन्न हुए मनोहर फुलिंगा […]

Padmanandi Panchvinshatika

पद्मनन्दि पंचविंशतिका 1. धर्मोपदेशामृत श्लोक 1 (स्त्रग्धरा) कायोत्सर्गायताङ्गो जयति जिनपतिर्नाभिसूनुर्महात्मा मध्यान्हे यस्य भास्वानुपरि परिगतो राजतेस्मोग्रमूर्तिः चक्रं कर्मेन्धनानामतिबहुदहतो दूरमौदास्यवात- स्फूर्यत्सद्ध्यानवतेरिव रुचिरतरः प्रोद्गतो विस्फुलिङ्गः ॥१॥ श्लोक 2 नो किञ्चित्करकार्यमस्ति गमनप्राप्यं न किञ्चिदृशो- दृश्यं यस्य न कर्णयोः किमपि हि श्रोतव्यमप्यस्ति न । तेनालम्बितपाणिरुज्झितगतिर्नासाग्रदृष्टी रहः संप्राप्तोऽतिनिराकुलो विजयते ध्यानैकतानो जिनः॥२॥ श्लोक 3 रागो यस्य न विद्यते क्वचिदपि प्रध्वस्तमोहग्रहा- दस्त्रादेः परिवर्जनान्न […]

भक्ष्य पदाथों की मर्यादा

Time limits on food items नं. खाद्य पदार्थ का नाम food item name मर्यादाएँ मार्गशीर्ष से फाल्गुन तक शीत     चेत्र से आषाढ़ तक ग्रीष्म  श्रावण से कार्तिक तक वर्षा     1 बूरा       1 मास (Month) 15 दिन (Day )          7 दिन (day) 2 दूध (दुहाने के पश्चात्) milk (after milking) 48 min (2 घड़ी) 48 min (2 घड़ी) 48 […]

Shri Agarwal Digamber Jain Mandir, Connaught Place, New Delhi

श्री अग्रवाल दिगम्बर जैन मंदिर, राजा बाजार, कनॉट प्लेस, नई दिल्ली श्री चंद्रप्रभु दिगम्बर जैन मंदिर जैन धर्म के अनुयायियों के लिए महत्वपूर्ण स्थल होते हैं जहां भक्त जैन तीर्थंकर भगवान चंद्रप्रभु की नित्य पूजा और अर्चना करते हैं। दिगम्बर जैन समुदाय में मंदिरों का महत्व बहुत उच्च होता है, और वे अपने धार्मिक आचार-विचारों […]

आदिनाथ भगवान का मोक्ष कल्याणक

जैन धर्म में माघ कृष्ण चतुर्दशी को भगवान ऋषभदेव (आदिनाथ ) के निर्वाणोत्सव दिवस के रूप में मनाना एक अद्भुत परंपरा है और इस दिन भक्तगण उनकी अनुग्रह और आशीर्वाद के लिए पूजा-अर्चना करते हैं। आचार्य श्री चैत्य सागर जी महाराज के सानिध्य में 108 किलो का निर्वाण लाडू चढ़ाकर आदिनाथ भगवान का मोक्ष कल्याणक […]

Jain puja swastik meaning

स्वस्तिक का अर्थ

जैन पूजन थाली में स्वस्तिक बनाने का क्रम हे भगवन्! इस त्रन नाली में निगोद से स्वर्गों को यात्रा करते हुए (क्र.-1) अनादिकाल से चारों गतियों की 84 लाख योनियों में जन्म मरण कर रहा हूँ। (क्र.-2) खोटे कर्म करके कभी अधोगति नरक में गया हूँ। (क्र.-3) हे प्रभु! शक्ति देना कि ऐसे कार्य नहीं […]

सांगानेर जैन बालिका छात्रावास

सन्त श्री सुधासागर आवासीय कन्या महाविद्यालय सन्त श्री सुधासागर बालिका छात्रावास – श्री दिगम्बर जैन श्रमण संस्कृति संस्थान ,सांगानेर,जयपुर, राजस्थान Sant Shri Sudhasagar Girls Hostel – Shri Digambar Jain Shraman Sanskriti Sansthan, Sanganer Jaipur, Rajasthanबालिका छात्रावास का मूल उद्देश्य युवा पीढ़ी को संरक्षित और संरचित बनाना है ताकि उन्हें समर्थ, सहज, और सशक्त नागरिक बनने […]

दीपक के साथ कल्याण मन्दिर स्तोत्र

पारसनाथ भगवान का जन्म व तप कल्याणक पर दीपक के साथ कल्याण मंदिर स्तोत्र मुनि श्री 108 प्रणम्य सागर जी के द्वारा पद्यानुवाद कल्याणमन्दिर मुदार मवद्य-भेदि भीताभय प्रद-मनिन्दित मछि-पद्यम् । संसार-सागर निमज्ज दशेष-जन्तु पोतायमान मभिनम्य जिनेश्वरस्य ॥१ ॥ कल्याणों के मन्दिर दाता अभय प्रदाता हैं निर्दोष श्री जिनवर के चरण कमल ही जगत् पूज्य हर […]

इष्टोपदेश गाथा सं 6

आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज द्वारा पद्यानुवाद एवं विवेचना गाथा 1 | गाथा 2 | गाथा 3 | गाथा 4 | गाथा 5 गाथा 6 उत्थानिका–  इसी लौकिकसुख के स्वरूप सम्बन्धी कथन को आगे बढ़ाते हुए कहा जा रहा है कि यह सुख वासनामात्र है सुखाभास है- वासनामात्रमेवैतत् सुखं दुःखं च देहिनाम् । तथा ह्युद्वेजयन्त्येते भोगा […]