Front Desk Architects and Planners Forum
वास्तु के प्राचीन ग्रन्थ : - Printable Version

+- Front Desk Architects and Planners Forum (https://frontdesk.co.in/forum)
+-- Forum: Architecture and Planning (https://frontdesk.co.in/forum/forumdisplay.php?fid=1)
+--- Forum: Vastu sastra वास्तु शास्त्र (https://frontdesk.co.in/forum/forumdisplay.php?fid=11)
+--- Thread: वास्तु के प्राचीन ग्रन्थ : (/showthread.php?tid=1540)



वास्तु के प्राचीन ग्रन्थ : - scjain - 11-03-2014

वास्तु के प्राचीन ग्रन्थ :
मनसार में 32 वास्तु ग्रन्थों का उल्लेख है उनमें से कुछ ग्रन्थों के नाम इस प्रकार है - समरांगणसूत्रधार, मनुष्यालय-चन्द्रिका, राजवल्लाभम् रूपमण्डम् वास्तु विद्या, शिल्परन्तम, शिल्परत्राकर मयवास्तु, सर्वार्थ शिल्पचिन्तामणि। मयभत, विश्वकर्मा वास्तुशास्त्र, मानसार, वृहसंहिता, विष्णु धर्मोत्तर, अपराजित पृच्छ, जय पुच्छ, प्रसाद मण्डन, प्रमाण पंजरी, वास्तुशास्त्र, वास्तु मण्डन, कोदण्ड मण्डन, शिल्परत्न, प्रमाण मंजरी आदि। अर्थवेद का उपवेद स्थापात्य वेद को प्राचीनतम वास्तु-शास्त्र में गणना की जाती है। ऋग्वेद में अनेकों स्थान पर वास्तुपति नामक देवता का उल्लेख किया गया है।
वृहत्-संहिता और मत्स्यपुराण में वर्णित वास्तु के आचार्यों के नाम :
प्राचीनकाल के प्रसिद्ध आचार्यों के नाम विश्वकर्मा, भृगु, अत्रि, वशिष्ट, अग्निरुद्ध, मय, नारद, विपालाक्ष, पुरंदरें, ब्रह्मा, कुमार, शौनक, गर्ग, वासुदेव, वृश्पिति, मनु, पराशर, नंदीश्वर, भरद्वाज, प्रहलाद, नग्नजित, अगस्त और मार्कण्डेय हैं। वर्तमान समय में विश्वकर्मा और मय सर्वाधिक चर्चित आचार्य हैं।