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कुलकर,63शलाका पुरुष तथा अन्य पूण्य पुरुष - Printable Version

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कुलकर,63शलाका पुरुष तथा अन्य पूण्य पुरुष - scjain - 02-10-2016

कुलकर,63शलाका पुरुष तथा अन्य पूण्य पुरुष

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त्रेसठ शलाका के पुरूष चतुर्थ काल में होते है ढाई द्वीप की 170 कर्मभूमियों में से 160 विदेह क्षेत्र में सदा चतुर...्थ काल रहता है।
पांच भरत पांच ऐरावत क्षेत्रों में प्रथम से छठे काल के क्रम से चतुर्थ काल आता है।
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?चौदह कुलकारों के नाम?
(1) श्री प्रतिश्रुति (2) श्री सनमति (3) क्षेमंकर (4) सीमंकर (5) सीमंकर (6) सीमंधर (7) विमल वाहन (8) चक्षुमान (9) यशस्वी (10) अभिचन्द्र (11) चन्द्रप्रभ (12) मरूदेव (13) प्रसेनजित (14) नाभिराजा।
***कुलकरों की पत्नियों के नाम ***
(1) स्वयंप्रभा (2) यशस्वी (3) सुनंदा (4) विमला (5) मनोहरी (6) यशोधरा (7) सुमति (8) धारिणी (9) कांतमाला (10) श्री मती (11) प्रभावती (12) सत्या (13) अभितमति (14) मरूदेवी
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?*किसी कुलकर ने प्रजा के लिए क्या किया*?
1 - पहले कुलकर ने सूर्य चन्द्रोदय से भय मिटाया।
2 - दूसरे कुलकर ने अंधकार तथा तारागण से भय मिटाया।
3 - तीसरे कुलकर ने हिंसक जन्तुओं की संगति त्याग करने का उपदेश दिया।
4 - चैथे कुलकर ने हिंसक जन्तुओं से रक्षण के उपाय बताये।
5 - पांचवे कुलकर ने कल्पवृक्ष की सीमायें बताई।
6 - छठवें कुलकर ने गुच्छादि चिन्हित सीमायें बताई।
7 - सातवें कुलकर ने हाथी आदि की सवारी का उपदेश दिया।
8 - आठवें कुलकर ने बालक के मुखदर्शन का उपदेश दिया।
9 - नौवें कुलकर ने बालक के नामकरण करने का उपदेश दिया।
10 - दसवें कुलकर ने शिशु रोदन निवारण चन्द्रादि दर्शन का उपदेश दिया।
11 - ग्यारवें कुलकर ने शीत आदि से रक्षा के उपाय बताये।
12 - बारहवें कुलकर ने नाव आदि द्वारा गमन करने का उपदेश दिया।
13 - तेरहवें कुलकर ने जरायुपटल को हटाने का उपदेश दिया।
14 - चौदहवें कुलकर ने नाभिनाल कर्तन का उपदेश दिया।
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तीसरा काल सुखमा-दुखमा नाम से आता है उसके समाप्त होने में जब पल्य का आठवा भाग शेष रह जाता है तब कुलकरों की उत्पत्ति प्रारम्भ होती है
कोई कुलकर मोक्ष नहीं जाते हैं।
क्योंकि कुलकर के समय में युगलिया जीव उत्पन्न होते हैं और विवाह पद्धति नहीं होती है। इसलिए कुलकर मोक्ष नहीं जाते हैं।
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?त्रेसठ शलाका पुरूष?
24. तीर्थंकर, 12. चक्रवर्ती, 9 नारायण, 9 प्रतिनारायण, 9. बलभद्र ये शलाका के पुरूष होते हैं।
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**जम्बूद्वीप के भरत क्षेत्र के वर्तमान काल के
12 चक्रवर्तियों के नाम निम्न प्रकार हैं-
1 - भरत 2 - सगर
3 - मधवा 4 - सनत्कुमार
5 - शांतिनाथ 6 - कुंथुनाथ
7 - अरहनाथ 8 - सुभौम
9 - पद्म 10 - हरिषेण
11 - जय सेन 12 - ब्रह्मदत्त।
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?*नारायण के नाम *?
1. त्रिपृष्ठ 2. द्वयपृष्ठ 3. स्वयंभू 4. पुरूषोत्तम 5. पुरूष-सिंह 6. पुरूष 7. दत्त 8. नारायण 9. श्री कृष्ण।
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?प्रतिनारायण?
1. अश्वग्रीव 2. तारक 3. मेरक 4. मधुकैटभ 5. निसुम्भ 6. बलि 7. प्रहरण 8 रावण 9. जरासंघ।
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बारह चक्रवर्तियों में से हस्तिनापुर में पांच चक्रवर्ती हुए
हस्तिनापुर में हुए पांच चक्रवर्तियों के नाम सनत्कुमार, शांतिनाथ, कुंथुनाथ, अरहनाथ, एवं सुभौम चक्रवर्ती।
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सुभौम तथा ब्रहम्दत्त चक्रवर्ती सातवें नरक में गये हैं।
मधवा तथा सानत्कुमार चक्रवर्ती कल्पवासी स्वर्गों में गये है।
आठ चक्रवर्ती मोक्ष गये है।
भरत, सगर, शांतिनाथ, कुंथुनाथ, अरहनाथ, पद्म, हरिषेण व जयसेन ये चक्रवर्ती मोक्ष गये हैं।
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सगर चक्रवर्ती के साठ हजार पुत्र थे
सगर चक्रवर्ती के साठ हजार पुत्र एक साथ जल गये थे,मुनि निंदा कर कर्म उदय में आ जाने के कारण से।
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ढाई द्वीपों में 170 कर्मभूमियों में 63 शलाका के पुरूष होते हैं। अतः उनकी संख्या 63 गुण 170 = 10710 पुरूष।
पांच भरत, पांच ऐरावत क्षेत्रों में तृतीय काल के अंत में कुलकर होते हैं।
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जम्बूद्वीप, धातकी खंड तथा पुरकरवर द्वीप के हेमवत तथा हैरणयवत क्षेत्रों में तृतीय काल रहता है वहां काल परिर्वतन नही होते है इस लिए कुलकर नहीं होते हैं
नारायण का दूसरे नाम विष्णु है।
प्रतिनारायण को प्रतिविष्णु भी कहते है तथा इन्हें त्रिखंडी भी कहते हैं।
?**प्रतिनारायण**?
जो कर्मभूमि के विजयार्ध के नीचे के तीन खंडों- 1. आर्यखंड, 2. मलेच्छ खंडों को जीतते हैं वे त्रिखंडी, प्रतिनारायण या प्रतिविष्णु कहलाते हैं।
?***नारायण***?
जो त्रिखंडी प्रतिनारायण को जीतते हैं तथा प्रतिनारायण के चक्र से उनहीं को मार देते हैं वे नारायण या विष्णु कहलाते हैं।
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?नारायण व प्रतिनाराण का नियोग?
पहले, प्रतिनारायण अपने चक्र रत्न से तीनों खंडो को जीतता है। पुनः नारायण से उसका युद्ध होता है, युद्ध में प्रतिनारायण के ऊपर अपना चक्र चलाते हैं, वह चक्र नारायण की परिक्रमा करनके उनके हाथ में आ जाते हैं। उसी चक्ररत्न को नारायण प्रतिनारायण के ऊपर चला देते हैं। जिससे प्रतिनारायण का घात हो जाता है तथा प्रतिनारायण मर कर नरक में चले जाते हैं।
नारायण मर कर नरक में उत्पन्न होते हैं।
श्री मुनिसुव्रत भगवान के शासन काल में रावण नाम के प्रतिनारायण एवं लक्ष्मण नाम के नारायण हुए थे। रावण का वध लक्ष्मण किया था
श्री नेमिनाथ भगवान के शासन काल में श्री कृष्ण नाम के नारायण, जरासंघ नाम के प्रतिनारायण हुए हैं।
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?**बलभद्र **?
नारायण के बड़े भाई बलभद्र होते हैं।
जैसे राम बलभद्र उनके भाई लक्ष्मण नारायण
बलभद्र मोक्ष और स्वर्ग में जाते हैं।
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?नौ बलभद्रों के नाम ?
1. चितय 2. अचल, 3. धर्म 4. सुप्रभ 5. सुदर्शन 6. नंदी, 7. नदिंमित्र 8. राम और
9. बलभद्र।
श्री मुनिसुव्रत नाथ भगवान एवं नेमिनाथ तीर्थंकर के शासन काल में राम एवं पद्म से बलभद्र हुए हैं
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?***रूद्र***?
रूद्र ग्यारह होते हैं उनके नाम
1 - भीमावली2 - जितशत्रु
3 - रूद्र 4 - वैश्रवानर
5 - सुप्रतिष्ठ 6 - अचल
7 - पुंडरीक 8 - अजितधर
9 - अजितनाभि 10 - पीठ
11 - सात्यिक पुत्र
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कौन से रूद्र, कौन से तीर्थंकर के काल में हुए
तीर्थंकर ,रूद्र
श्री आदिनाथ जी - भीमावली
श्री अजितनाथ जी - जितशत्रु
श्री पुष्पदंत जी - रूद्र
श्री शीतल नाथ जी - वैश्रवानर
श्री श्रेयांसनाथ जी - सुप्रतिष्ठ
श्री वासुपूज्य जी - अचल
श्री विमलानाथ जी - पुंडरीक
श्री अनंतनाथ जी - अजितधर
श्री धर्मनाथ जी - अजितनाभि
श्री शांतिनाथ जी - पीठ
श्री महावीर जी - सात्यिकी पुत्र
सब रूद्र दसवें पूर्व का अध्ययन करते समय विषयों के निमित्त से तप से भ्रष्ट होकर मिथ्यात्व को धारण करते हुए नरकों में चले जाते हैं।
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?***नारद ***?
नारद नौ होते हैं।नौ नारदों के नाम
1. भीम 2. महाभीम 3. रूद्र 4. महारूद्र 5. काल 6. महाकाल 7. दुर्मुख 8. नरमुख 9. अधोमुख
सभी नारद अति रूद्र होते हुए दूसरों को रूलाया करते हैं, वे पाप के निधान कलह प्रिय युद्ध प्रिय होने से नकर जाते हैं।
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?***कामदेव***?
उस समय के मुनष्यों में जो सबसे सुन्दर आकृति के धारक होते हैं। वे कामदेव कहलाते हैं।
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?*कामदेव चौबीस होते हैं,कामदेवों के नाम*?
1. श्री बाहुबली 2. अमित तेज 3. श्री धर 4 यशोभ्रद्र 5. प्रसेनजित 6 चन्द्रवर्ण 7. अग्निमुक्त 8 सनत्कुमार 9 वत्सराज 10 कनकप्रभ 11 सिद्धवर्ण 12 शांतिनाथ 13 कुंथुनाथ 14 अरहनाथ 15 विजयराज 16 श्रीचन्द 17 राजानल 18 हनुमान 19 बलगंज 20 वसुदेव 21 प्रद्युम्न 22 नागकुमार 23 श्रीपाल 24 जम्बूस्वामी।
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महापुरूषों के मोक्ष जाने के विषय मे नियम हैं
तीर्थंकर, उनके माता-पिता, चक्रवर्ती, बलदेव, नारायण, रूद्र, नारद, कामदेव, कुलकर ये सभी भव्य होते हुए नियम से सिद्ध होते है तीर्थंकर तो उसी भव से सिद्ध होते हैं। अन्यों के लिए उसी भव का नियम नहीं हैं।
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?महापुरूष कुल निम्न हैं?
तीर्थंकर - 24,तीर्थंकर की माता - 24,तीर्थंकर की पिता - 24,चक्रवर्ती - 12,बलदेव - 9,
नारायण - 9,प्रतिनारायण - 9,
रूद्र - 11,नारद - 9,कामदेव - 24,कुलकर - 24 ,169 कुल
है
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