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१६ महासतिया - Printable Version

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१६ महासतिया - scjain - 03-26-2016

??१६ महासतिया:-??

१.ब्राह्मी-३लाख साध्वियो का नेतृत्व करने वाली इस अवसर्पिणी काल की प्रथम साध्विजी।ब्राह्मी आदि१८ लिपि सीखनेवाली।केवल्य और मोक्ष पाया। सुनन्दा एवम ऋषभदेव की पुत्री।
२.सुन्दरी-६० हजार वर्ष तक आयम्बिल का उग्र तप करनेवाली। सुमंगला एवम ऋषभदेव की पुत्री। बहेन ब्राह्मी के साथ भाई बाहुबलीजी को अभिमान रूपी हाथी पर से उतारा।
३.चंदनबाला-प्रभु महावीर की ३६ हजार साध्वियो में प्रथम स्थान को अलंकृत करनेवाली सध्विजी। कर्म सत्ता से दुखो की वर्षा से बहार आकर चन्दन की तरह सुवास बढाई।
४.राजिमती-तोरण से रथ वापस लेके जानेवाले नेमकुमार का पथ अनुसरण कर सयंम ग्रहण किया। केवलज्ञान मोक्ष पाया।
५.द्रोपदी-पूर्व जन्म की गलती से पाच पुरुष की पत्नी बनी। अंधे के पुत्र अंधे उपहास में बोले शब्द से महाभारत का सर्जन हुआ।शील सम्पन्ता के कारण चीरहरण के समय लाज बचाई।
६.कौशल्या-राम का वनवास गमन की बात सुनकर भी केकेयी के प्रति दुर्भाबना नहीं लाई अपने कर्मो का दोष दिया।राम को सदभावना रखने की प्रेरणा दी।
७.मृगावती-महाराजा चेटक की पुत्री राजा शतानीक की रानी की न्रमता अनुपम थी।वीर की देशना सुनकर विलम्ब आने पर चंदनबाला का ठपका सुनकर पश्चाताप करते हुए केवलज्ञान पाया। गुरु को भी केवलज्ञान की भेट दी।
८.सुलसा-अनागत चोविशी में १५ वे तीर्थंकर निर्मम के नाम से बनने वाली महासती।
९.सीता-जनक राजा की शीलवती पुत्री। रामजी के साथ वनवास स्वीकार किया। रावण के सान्निध्य में भी शील की रक्षा की।
१०.सुभद्रा-बोद्ध परिवार में शादी होने पर भी जैनत्व के संस्कार बनाये रखे। सासु द्वारा लगे कलंक को शासनदेवी ने मुक्त किया।
११.शिवा सती-चेटक राजा की पुत्री। चंडप्रधोत राजा की पत्नी। लावण्य से मोहित मंत्री की अनुचित प्रार्थना ठुकराई।नगर में फैला अग्नि का उपद्रव आप द्वारा जल छिडकने से शांत हुआ।
१२.कुंती-विपत्ति के समय पुत्रो का साथ दिया। पुत्रो और पुत्र वधुओ के साथ सयंम ग्रहण कर शिद्धाचल पर मोक्ष पाया।
१३.शीलवती-चार मंत्रियो द्वारा अनुचित मांगनी को चतुराई से अपने शील की रक्षा की। वासना के भूखो को सबक भी सिखाया।
१४.दमयंती-राजा नल द्वारा सब जुए में हरने के बाद उनके साथ वन में गए वहा पति ने अकेला छोड़ा तो भो १२ वर्ष तक धर्म का विस्मरण किया।
१५ .पुष्पचुला-सगे भाई से कर्मवश अनिच्छ्नीय सम्बन्ध बंधे। पुण्योदय से अर्निकापुत्र आचार्य की वाणी से वेराग्य हुआ।वद्ध आचार्यकी सेवा कर केवलज्ञान पाया।
१६.प्रभावती-चेटक राजा की पुत्री एवम उदायन राजा की रानी। दीक्षा ली। ६ मास दीक्षा पालन कर स्वर्ग सीधाई। राजा को प्रतिबोध किया। धर्म में जोड़ा।