तीर्थंकर के माँ के सोलह सपने
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तीर्थंकर के माँ के सोलह सपने




हाथी-हाथी जिस तरह शत्रु सेना को नष्ट करता है,वैसे ही यह कर्मरूपी शत्रु का नाश करेगा।
वृषभ-वृषभ जैसे भार वहन करता है,वैसे ही यह बालक संयम का भार वहन करेगा।
केसरी सिंह-कामरूपी गज को नष्ट करने में केसरी सिंह जैसा बल दिखाएगा।
लक्ष्मी-अनंत ज्ञान दर्शन रूप लक्ष्मी को यह बालक प्राप्त करेगा।
पुष्पमाला-सुमनमाला की तरह सबको प्रिय कल्याणकारी होगा।
चंद्रमा-जैसे चंद्रमा शीतलता प्रदान करता है,वैसे ही यह सबके लिए शीतलता व सुरम्यतादायक होगा।
सूर्य-मिथ्यात्व के तम को दूर कर रत्नत्रयी का प्रकाश करेगा।
कुंभ कलश-अनेक निधियों का स्वामी होगा।
दो मछलियाँ-महाआनंद का दाता, दुखहर्ता
पद्म सरोवर-कमलाकार सिंहासन पर बैठकर देशना करेगा।
क्षीर समुद्र-सागर जैसी असीम गहराई का वह धारक होगा।
रत्नजडि़त सिंहासन-प्रजा का हितचिंतक पुत्र।
देव विमान-असंख्य देव-देवियों की पूज्यता प्राप्त करेगा।
नागों के राजा नागेंद्र का विमान-त्रिकालदर्शी पुत्र होगा।
रत्नों का ढ़ेर-संपूर्ण आत्मगुणों का धारक होगा।
धुआँरहित अग्नि-कर्मों का अंत करके मोक्ष निर्वाण को प्राप्त करेगा।
ऐसा महान पुत्र धर्मध्वजा को सारे लोक में फैलाएगा।
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