07-19-2014, 12:33 PM
ऋिषि मंडल निम्न से मिलकर बनता है –
(1) 24 तीर्थंकर
(2) अष्ट वर्ग
(3) पंच परमेष्ठी
(4) रत्न त्रय
(5) चतुर्निकाय देव
(6) चार प्रकार अवधी धारक श्रमण
(7) अष्ट ऋिध्दिधारी ऋिषि
(8) 24 देवी
(9) 3 ह्रीं
(10) अरिहंत बिम्ब
(11) दस दिग्पाल
और इनका विवरण निम्न प्रकार से है :-
(1) 24 तीर्थंकर :- वृषभ देव से महावीर स्वामी तक
(2) अष्ट वर्ग :-
(1) अ वर्ग
(2 ) क वर्ग
(3) च वर्ग
(4) ट वर्ग
(5) त वर्ग
(6) य वर्ग
(7) ष वर्ग
(8) क्ष वर्ग
(3) पंच परमेष्ठी :-
(1) अरिहंत
(2) सिध्द
(3) आचार्य
(4) उपाध्याय
(5) साधु
(4) रत्न त्रय :-
(1) सम्यक दर्शन
(2) सम्यक ज्ञान
(3)सम्यक चारित्र
(5)चतुर्निकाय देव :-
(1)भवनेंद्र
(2)व्यंतरेंद्र
(3)ज्योतिषीन्द्र
(4)कल्पेन्द्र
(6) चार प्रकार अवधी धारक श्रमण :-
(1) श्रुतावधि धारक श्रमण
(2) देशावधि धारक श्रमण
(3) परमावधि धारक श्रमण
(4) सर्वावधि धारक श्रमण
(7) अष्ट ऋिध्दिधारी ऋिषि :-
(1) बुध्दि ऋिध्दि
(2) सर्वोषधि ऋिध्दि,
(3) अनन्त बल ऋिध्दि,
(4) तप्त ऋिध्दि,
(5) रस ऋिध्दि,
(6) विक्रिया ऋिध्दि,
(7) क्षेत्र ऋिध्दि,
(8) अक्षीण महानस ऋिध्दि
(8) 24 देवियां :-
(1) श्री देवी
(2) ह्रीं देवी
(3) घृति देवी
(4) लक्ष्मी देवी
(5) गौरी देवी
(6) चण्डिका देवी
(7) सरस्वती देवी
(8) जया देवी
(9) अम्बिका देवी
(10) विजया देवी
(11) क्लिना देवी
(12) अजिता देवी
(13) नित्या देवी
(14) मदद्रवा देवी
(15) कामांगा देवी
(16) कामवाणा देवी
(17) सानंदा देवी
(18) नन्दमालिनी देवी
(19) माया देवी
(20) मायाविनी देवी
(21) रोद्री देवी
(22) कला देवी
(23) काली देवी
(24) कलिप्रिया देवी
(11)दस दिग्पाल :-
(1) पूर्व के इन्द्र
(2) अग्निकोण के वह्रि
(3) दक्षिण के यम
(4) नैऋत्यकोण के नैऋत
(5) पश्चिम के वरूण
(6) वायु कोण के मरूत्
(7) उत्तर के कुबेर
(8) ईशान कोण के ईश
(9) ऊर्ध्व दिशा के ब्रह्मा
(10) अधो दिशा के अनंत।
(1) 24 तीर्थंकर
(2) अष्ट वर्ग
(3) पंच परमेष्ठी
(4) रत्न त्रय
(5) चतुर्निकाय देव
(6) चार प्रकार अवधी धारक श्रमण
(7) अष्ट ऋिध्दिधारी ऋिषि
(8) 24 देवी
(9) 3 ह्रीं
(10) अरिहंत बिम्ब
(11) दस दिग्पाल
और इनका विवरण निम्न प्रकार से है :-
(1) 24 तीर्थंकर :- वृषभ देव से महावीर स्वामी तक
(2) अष्ट वर्ग :-
(1) अ वर्ग
(2 ) क वर्ग
(3) च वर्ग
(4) ट वर्ग
(5) त वर्ग
(6) य वर्ग
(7) ष वर्ग
(8) क्ष वर्ग
(3) पंच परमेष्ठी :-
(1) अरिहंत
(2) सिध्द
(3) आचार्य
(4) उपाध्याय
(5) साधु
(4) रत्न त्रय :-
(1) सम्यक दर्शन
(2) सम्यक ज्ञान
(3)सम्यक चारित्र
(5)चतुर्निकाय देव :-
(1)भवनेंद्र
(2)व्यंतरेंद्र
(3)ज्योतिषीन्द्र
(4)कल्पेन्द्र
(6) चार प्रकार अवधी धारक श्रमण :-
(1) श्रुतावधि धारक श्रमण
(2) देशावधि धारक श्रमण
(3) परमावधि धारक श्रमण
(4) सर्वावधि धारक श्रमण
(7) अष्ट ऋिध्दिधारी ऋिषि :-
(1) बुध्दि ऋिध्दि
(2) सर्वोषधि ऋिध्दि,
(3) अनन्त बल ऋिध्दि,
(4) तप्त ऋिध्दि,
(5) रस ऋिध्दि,
(6) विक्रिया ऋिध्दि,
(7) क्षेत्र ऋिध्दि,
(8) अक्षीण महानस ऋिध्दि
(8) 24 देवियां :-
(1) श्री देवी
(2) ह्रीं देवी
(3) घृति देवी
(4) लक्ष्मी देवी
(5) गौरी देवी
(6) चण्डिका देवी
(7) सरस्वती देवी
(8) जया देवी
(9) अम्बिका देवी
(10) विजया देवी
(11) क्लिना देवी
(12) अजिता देवी
(13) नित्या देवी
(14) मदद्रवा देवी
(15) कामांगा देवी
(16) कामवाणा देवी
(17) सानंदा देवी
(18) नन्दमालिनी देवी
(19) माया देवी
(20) मायाविनी देवी
(21) रोद्री देवी
(22) कला देवी
(23) काली देवी
(24) कलिप्रिया देवी
(11)दस दिग्पाल :-
(1) पूर्व के इन्द्र
(2) अग्निकोण के वह्रि
(3) दक्षिण के यम
(4) नैऋत्यकोण के नैऋत
(5) पश्चिम के वरूण
(6) वायु कोण के मरूत्
(7) उत्तर के कुबेर
(8) ईशान कोण के ईश
(9) ऊर्ध्व दिशा के ब्रह्मा
(10) अधो दिशा के अनंत।