06-17-2021, 03:10 PM
भक्तामर महिमा
श्री भक्तामर का पाठ करो, नित प्रात भक्ति मन लाई
सब संकट जाये नसाई।।
जो ज्ञान-मान मतवारे थे, मुनि मान तुंग से हारे थे।
उन चतुराई से नृपति लिया बहकाई ।। सब संकट ।।1।।
मुनिजी को नृपति बुलाया था, सैनिक जा हुक्म सुनाया था ।
मुनि वीतराग को आज्ञा नहीं सुहाई।। सब संकट।।2।।
उपसर्ग घोर तब आया था, बल पूर्वक पकड़ मंगाया था।
हथकड़ी बेड़ियों से तन दिया बंधाई। सब संकट ।।3।।
मुनि कारागृह भिजवाये थे, अड़तालिस ताले लगाये थे ।
क्रोधित नृप बाहर पहरा दिया बिठाई। सब संकट ।।4।।
मुनि शान्त भाव अपनाया था, श्री आदिनाथ को ध्याया था।
हो ध्यान मग्न भक्तामर दिया बनाई।। सब संकट ।।5।।
सब बन्धन टुट गये मुनि के ताले सब स्वयं खुले उनके कारागृह से आ बाहर दिये दिखाई। सब संकट ।।6।।
राजा नत होकर आया था, अपराध क्षमा करवाया था।
मुनि के चरणों में अनुपम भक्ति दिखाई।। सब संकट ।।7 ।।
जो पाठ भक्ति से करता है, नित ऋषभ चरण चित धरता है।
जो ऋद्धि मंत्र का विधिवत् जाप कराई।। सब संकट
भय विघ्न उपद्रव टलते हैं, विपदा के दिवस बदलते हैं।
सब मन वांछित हो पूर्ण शान्ति छा जाई।। सब संकट | 9 ।।
जो वीतराग आराधन है, आतम उन्नति का साधन है।
उससे प्राणी का भव बन्धन कट जाई।। सब संकट ।।10।।
"कौशल" सुभक्ति को पहचानों, संसार दृष्टि बन्धन जानो।
लो भक्तामर से आत्म ज्योति प्रकटाई। सब संकट ।।11।।
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Bhaktambar stotra with meaning and riddhi mantra
श्री भक्तामर का पाठ करो, नित प्रात भक्ति मन लाई
सब संकट जाये नसाई।।
जो ज्ञान-मान मतवारे थे, मुनि मान तुंग से हारे थे।
उन चतुराई से नृपति लिया बहकाई ।। सब संकट ।।1।।
मुनिजी को नृपति बुलाया था, सैनिक जा हुक्म सुनाया था ।
मुनि वीतराग को आज्ञा नहीं सुहाई।। सब संकट।।2।।
उपसर्ग घोर तब आया था, बल पूर्वक पकड़ मंगाया था।
हथकड़ी बेड़ियों से तन दिया बंधाई। सब संकट ।।3।।
मुनि कारागृह भिजवाये थे, अड़तालिस ताले लगाये थे ।
क्रोधित नृप बाहर पहरा दिया बिठाई। सब संकट ।।4।।
मुनि शान्त भाव अपनाया था, श्री आदिनाथ को ध्याया था।
हो ध्यान मग्न भक्तामर दिया बनाई।। सब संकट ।।5।।
सब बन्धन टुट गये मुनि के ताले सब स्वयं खुले उनके कारागृह से आ बाहर दिये दिखाई। सब संकट ।।6।।
राजा नत होकर आया था, अपराध क्षमा करवाया था।
मुनि के चरणों में अनुपम भक्ति दिखाई।। सब संकट ।।7 ।।
जो पाठ भक्ति से करता है, नित ऋषभ चरण चित धरता है।
जो ऋद्धि मंत्र का विधिवत् जाप कराई।। सब संकट
भय विघ्न उपद्रव टलते हैं, विपदा के दिवस बदलते हैं।
सब मन वांछित हो पूर्ण शान्ति छा जाई।। सब संकट | 9 ।।
जो वीतराग आराधन है, आतम उन्नति का साधन है।
उससे प्राणी का भव बन्धन कट जाई।। सब संकट ।।10।।
"कौशल" सुभक्ति को पहचानों, संसार दृष्टि बन्धन जानो।
लो भक्तामर से आत्म ज्योति प्रकटाई। सब संकट ।।11।।
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