दिगम्बर मुनिराज के २८ मूलगुण
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"परम वीतरागी दिगम्बर मुनिराज के २८ मूलगुण"
५ महाव्रत : -
१) अहिंसामहाव्रत
२) सत्यमहाव्रत
३) अचौर्यमहाव्रत
४) ब्रह्मचर्यमहाव्रत
५) परिग्रहत्यागमहाव्रत
५ समिति : -
१) ईर्या समिति
२) भाषा समिति
३) एषणा समिति
४) आदाननिक्षेपणा समिति
५) प्रतिष्ठापना समिति
५) पंचेन्द्रिय विजय : -
१) स्पर्शन इंद्रिय विजय
२) रसना इंद्रिय विजय
३) घ्राण इंद्रिय विजय
४) चक्षु इंद्रिय विजय
५) कर्ण इंद्रिय विजय
६ आवश्यक : -
१) सामायिक
२) स्तुति
३) वंदना
४) स्वाध्याय
५) प्रतिक्रमण
६) कायोत्सर्ग
७ शेष मूलगुण : -
१) नग्नता
२) खड़े होकर आहार लेना
३) केंशलोच करना
४) एक समय आहार करना
५) दन्त-धोवन नहीं करना
६) एक करवट भूमि शयन
७) स्नान नहीं करना
(टोटल = ५ महाव्रत + ५ समिति + ५ इन्द्रियविजय + ६ आवश्यक
+ ७ शेषगुण = २८ मूलगुण)
और ये मूलगुणो का पालन दिगंबर मुनिराजो के सहज ही होता है।
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