कांक्रीट की सघनता
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कांक्रीट की सघनता :

जिस गति से कांक्रीट दालते हैं उसी गति से उसे दृढ़ / सघन करना चाहिये। ताजा कांक्रीट फरमे में या सलियों के आजू बाजू में दालकर सघन करते हैं। कांक्रीट के घटकतत्व मिलाने के बाद उसमें छिपी हुयी हवा निकालने की जरूरत होती हैं। कांक्रीट एक जगह से दूसरी जगह ले जाते समय उसे दालने के बाद सघन करना जरूरी हैं। कांक्रीट सघन करने से खड़ी / रेती में छिपी हुयी हवा निकल आती हैं। इससे कांक्रीट में रहनेवाले हवा के सुराख समाप्त हो जाते हैं। कांक्रीट मे रहने वाली हवा से उसकी ताकत कम होती हैं और स्थिरता पर असर पड़ता है।

आम तौर पर कांक्रीट में एक प्रतिशत से कम हवा के सुराख होना बेहतर होता हैं। इसलिए कांक्रीट के घटकतत्व में रहने वाले खड़ी / रेती से होने वाले सुराख / छिद्रों को बंद करने के लिये अच्छी तरह सघन किया जाता है। कांक्रीट में रहने वाले हवा के सुराख का प्रमाण उसके पतलेपन पर निर्भर होता है। पतले कांक्रीट में कम हवा के सुराख का प्रमाण होता हैं। कठोर या दृढ कांक्रीट के मिश्रण में ज्यादा हवा छिपी हुयी होती हैं। उसे निकालने के लिये उसे अच्छी तरहसे काम करने योग्य बनाने के लिये सचन करना जरूरी हैं।

कांक्रीट में छिपी हुयी हवा को निकालने का महत्व नीचे दिये गये मुद्दों से स्पष्ट होगा:

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