12-06-2014, 10:49 AM
[ltr]बातें कुछ काम की :-
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[ltr]1. शरीर के संकेतों को समझने के लिए प्राणशक्ति को समझना अतिआवश्यक है।[/ltr]
[ltr]2. हमें भूख—प्यास , पेशाब, दस्त आदि की जानकारी है।[/ltr]
[ltr]3. जब पेट भर जाता है तब शरीर हमें संकेत करता है, पहली डकार आती है फिर दूसरी, एवं बाद में तीसरी आती है।[/ltr]
[ltr]4. शरीर के किसी भाग में दर्द होता है तो इसका अर्थ यह है कि उस भाग में कार्बन डाई आक्साइड, पानी तथा अन्य विषाक्त पदार्थ या वायु भर गई है।[/ltr]
[ltr]5. नाक से पानी निकलना या छींके आना यह दर्शाता है कि शरीर अतिरिक्त पानी बाहर फैकता है।[/ltr]
[ltr]6. खाँसी आती है तो शरीर को ठंड लगती है फिर शरीर छाती या गले में जमे हुये कफ को दूर करता है ।[/ltr]
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7. खुजलाहट दर्शाती है कि रक्त के श्वेत कण जंतुओं का प्रतिकार कर रहे हैं और शरीर में ज्यादा खराबी है।
8. बुखार आने पर समझ लें कि रक्त के श्वेत कण जंतुओं का प्रतिकार कर रहे हैं और शरीर मे ज्यादा खराबी है।
9. जब आलस्य आये और मरोड़ उठने लगे तो समझ ले कि शरीर थक गया है और उसे आसन तथा प्राण—वायु की जरूरत है।
10. भूख कम लगे तो समझ लें कि पेट में जमावट हुई है। या (कब्ज) हुआ है।
11. यदि हृदय में झुनझुनी हो और वहाँ दर्द होने लगे तो इसका अर्थ यह है कि हृदय को पूर्ण आराम की जरूरत है।
12. पेट पर आहार का बोझ लादने के बजाय कुनकुना पानी, स्वच्छ पेय, फल का रस या छाछ लीजिये। इस तरह हम शरीर के इन संकेतों को समझें । और रोग दूर करने के शरीर के प्रयत्नों में मदद करें। इन संकेतों को रोकिये मत, हम कभी—कभी देखते हैं कि ज्वर को एकदम दबा देने पर कभी—कभी दूसरे रोग हो जाते हैं। कभी—कभी उसकी परिणति पक्षाघात में होती है। अत: नियमित प्राणायाम कीजिये तथा स्वयं को स्वस्थ रखिये।[/ltr]
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13.रात को उबालकर धातु के बर्तन में रखा पानी, सुबह -सुबह दो- तीन गिलास पीने से बहुत ही आश्चर्यजनक परिणाम मिलते हैं।[/ltr]
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14.सीधे लेटकर पेट पर ५-१० मिनिट लकड़ी का बेलन रगड़े इससे कब्ज और दूषित गरमी दूर होगी।[/ltr]
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15.गरम और ठंडे पानी में भिगोया हुआ कपड़ा रखिये। ठंडे पानी में भिगोया हुआ कपड़ा रखने से बुखार उतर जाता है। विजातीय द्रव्य दूर होते हैं।[/ltr]
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16.गरम पानी में भिगोया हुआ कपड़ा रखने से दर्द मिटता है और सूजन दूर होती है।[/ltr]
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17.भाप का उपयोग करने पर वाष्प स्नान करने से शरीर में स्थित सर्दी और विषैले द्रव्य पसीने द्वारा दूर होते हैं तथा रक्त-भ्रमण बढ़ता है।[/ltr]
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18. भाप का उपयोग विशेषतः पोलियो, आर्थराइटिस, संधिवात, पक्षाघात आदि में बड़ा लाभदायक होता है।[/ltr]
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19. बुखार आने पर सूती चादर या कपड़ा गीला करके शरीर पर लपेटिये।[/ltr]
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20. शुद्ध हवा प्राण-वायु है उसे अवश्य ही ग्रहण कीजिये।[/ltr]
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21. सूर्य नमस्कार शरीर के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण है।[/ltr]
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22.आहार में हरी साग- भाजी, फल और आनाज में पॉजिटिव व निगेटिव सूर्यशक्ति-विद्युत समान यात्रा में संग्रहीत है। यह सरलता से पच जाती है तथा अधिक से अधिक शक्ति प्रदान करती है।
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[ltr]1. शरीर के संकेतों को समझने के लिए प्राणशक्ति को समझना अतिआवश्यक है।[/ltr]
[ltr]2. हमें भूख—प्यास , पेशाब, दस्त आदि की जानकारी है।[/ltr]
[ltr]3. जब पेट भर जाता है तब शरीर हमें संकेत करता है, पहली डकार आती है फिर दूसरी, एवं बाद में तीसरी आती है।[/ltr]
[ltr]4. शरीर के किसी भाग में दर्द होता है तो इसका अर्थ यह है कि उस भाग में कार्बन डाई आक्साइड, पानी तथा अन्य विषाक्त पदार्थ या वायु भर गई है।[/ltr]
[ltr]5. नाक से पानी निकलना या छींके आना यह दर्शाता है कि शरीर अतिरिक्त पानी बाहर फैकता है।[/ltr]
[ltr]6. खाँसी आती है तो शरीर को ठंड लगती है फिर शरीर छाती या गले में जमे हुये कफ को दूर करता है ।[/ltr]
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7. खुजलाहट दर्शाती है कि रक्त के श्वेत कण जंतुओं का प्रतिकार कर रहे हैं और शरीर में ज्यादा खराबी है।
8. बुखार आने पर समझ लें कि रक्त के श्वेत कण जंतुओं का प्रतिकार कर रहे हैं और शरीर मे ज्यादा खराबी है।
9. जब आलस्य आये और मरोड़ उठने लगे तो समझ ले कि शरीर थक गया है और उसे आसन तथा प्राण—वायु की जरूरत है।
10. भूख कम लगे तो समझ लें कि पेट में जमावट हुई है। या (कब्ज) हुआ है।
11. यदि हृदय में झुनझुनी हो और वहाँ दर्द होने लगे तो इसका अर्थ यह है कि हृदय को पूर्ण आराम की जरूरत है।
12. पेट पर आहार का बोझ लादने के बजाय कुनकुना पानी, स्वच्छ पेय, फल का रस या छाछ लीजिये। इस तरह हम शरीर के इन संकेतों को समझें । और रोग दूर करने के शरीर के प्रयत्नों में मदद करें। इन संकेतों को रोकिये मत, हम कभी—कभी देखते हैं कि ज्वर को एकदम दबा देने पर कभी—कभी दूसरे रोग हो जाते हैं। कभी—कभी उसकी परिणति पक्षाघात में होती है। अत: नियमित प्राणायाम कीजिये तथा स्वयं को स्वस्थ रखिये।[/ltr]
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13.रात को उबालकर धातु के बर्तन में रखा पानी, सुबह -सुबह दो- तीन गिलास पीने से बहुत ही आश्चर्यजनक परिणाम मिलते हैं।[/ltr]
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14.सीधे लेटकर पेट पर ५-१० मिनिट लकड़ी का बेलन रगड़े इससे कब्ज और दूषित गरमी दूर होगी।[/ltr]
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15.गरम और ठंडे पानी में भिगोया हुआ कपड़ा रखिये। ठंडे पानी में भिगोया हुआ कपड़ा रखने से बुखार उतर जाता है। विजातीय द्रव्य दूर होते हैं।[/ltr]
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16.गरम पानी में भिगोया हुआ कपड़ा रखने से दर्द मिटता है और सूजन दूर होती है।[/ltr]
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17.भाप का उपयोग करने पर वाष्प स्नान करने से शरीर में स्थित सर्दी और विषैले द्रव्य पसीने द्वारा दूर होते हैं तथा रक्त-भ्रमण बढ़ता है।[/ltr]
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18. भाप का उपयोग विशेषतः पोलियो, आर्थराइटिस, संधिवात, पक्षाघात आदि में बड़ा लाभदायक होता है।[/ltr]
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19. बुखार आने पर सूती चादर या कपड़ा गीला करके शरीर पर लपेटिये।[/ltr]
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20. शुद्ध हवा प्राण-वायु है उसे अवश्य ही ग्रहण कीजिये।[/ltr]
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21. सूर्य नमस्कार शरीर के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण है।[/ltr]
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22.आहार में हरी साग- भाजी, फल और आनाज में पॉजिटिव व निगेटिव सूर्यशक्ति-विद्युत समान यात्रा में संग्रहीत है। यह सरलता से पच जाती है तथा अधिक से अधिक शक्ति प्रदान करती है।
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