02-18-2015, 06:57 AM
ज्ञान कितने है :-
मतीश्रुतावधीमन:पर्यय केवलानि ज्ञानम्॥ आद्ये परोक्षम्॥ प्रत्यक्षम् अन्यत॥
पाँच ज्ञान - मती, श्रुत, अवधी, मन:पर्यय और केवलज्ञान। इसमे पेह्ले दो परोक्ष है, क्युंकि वे इंद्रियजन्य अर्थात इंद्रियोंके सहारे होते है, बाकी तीन ज्ञान प्रत्यक्ष है, जो अनिंद्रिय है।
एक साथ मे एक, दो, तीन या चार ज्ञान हो सकते है। एक साथ पांच ज्ञान नही होते, क्योंकि जब केवलज्ञान होगा, तो बाकी चारो ज्ञान का रहना जरुरी नही और संभव भि नही।
अगर किसी जीव के एक ज्ञान होगा तो वह केवल, दो होगे तो मती, श्रुत, तीन होगे तो मती, श्रुत, अवधी या मती श्रुत, मन:पर्यय और चार होंगे तो मती, श्रुत, अवधी और मन:पर्यय।
वर्तमान पंचम काल मे यहाँ सम्यग्दृष्टि जीव के साधारणतया मति और श्रुत दो ज्ञान होते है तथा मिथ्यादृष्टि jeev के कुमति,कुश्रुत ज्ञान होते है!पंचम काल के भगवान महावीर के मोक्ष जाने से प्रत्येक हज़ार वर्ष के अंतराल पर एक कल्कि राजा उत्पन्न होंगे जिनके काल में अवधिज्ञानी मुनि होंगे ! अन्यथा किसी जीव के यदि एक ज्ञान हो तो केवल ज्ञान ,दो हो तो मति और श्रुत ज्ञान तीन हो तो मति श्रुत और अवधि /मन: पर्यय ज्ञान और अधिकतम केवल ज्ञान के अतिरिक्त चारों ज्ञान हो सकते है!
मतीश्रुतावधीमन:पर्यय केवलानि ज्ञानम्॥ आद्ये परोक्षम्॥ प्रत्यक्षम् अन्यत॥
पाँच ज्ञान - मती, श्रुत, अवधी, मन:पर्यय और केवलज्ञान। इसमे पेह्ले दो परोक्ष है, क्युंकि वे इंद्रियजन्य अर्थात इंद्रियोंके सहारे होते है, बाकी तीन ज्ञान प्रत्यक्ष है, जो अनिंद्रिय है।
एक साथ मे एक, दो, तीन या चार ज्ञान हो सकते है। एक साथ पांच ज्ञान नही होते, क्योंकि जब केवलज्ञान होगा, तो बाकी चारो ज्ञान का रहना जरुरी नही और संभव भि नही।
अगर किसी जीव के एक ज्ञान होगा तो वह केवल, दो होगे तो मती, श्रुत, तीन होगे तो मती, श्रुत, अवधी या मती श्रुत, मन:पर्यय और चार होंगे तो मती, श्रुत, अवधी और मन:पर्यय।
वर्तमान पंचम काल मे यहाँ सम्यग्दृष्टि जीव के साधारणतया मति और श्रुत दो ज्ञान होते है तथा मिथ्यादृष्टि jeev के कुमति,कुश्रुत ज्ञान होते है!पंचम काल के भगवान महावीर के मोक्ष जाने से प्रत्येक हज़ार वर्ष के अंतराल पर एक कल्कि राजा उत्पन्न होंगे जिनके काल में अवधिज्ञानी मुनि होंगे ! अन्यथा किसी जीव के यदि एक ज्ञान हो तो केवल ज्ञान ,दो हो तो मति और श्रुत ज्ञान तीन हो तो मति श्रुत और अवधि /मन: पर्यय ज्ञान और अधिकतम केवल ज्ञान के अतिरिक्त चारों ज्ञान हो सकते है!