09-04-2017, 08:55 AM
*"उत्तम त्याग धर्म"*
१. *दान चार परकार,*
*चार संघ को दीजिए।*
*धन बिजली उनहार,*
*नर-भव लाहो लीजिए।।*
*अर्थात -*दान चार प्रकार के होते है और उसके पात्र भी चार तरह के होते हैं। धन बिजली के समान एक स्थान पर ठहरने वाला नहीं है,अतः इसका उपयोग मनुष्य को दान कार्य में करना चाहिए।
२. *उत्तम त्याग करो जग सारा,*
*औषध शास्त्र अभय आहारा।*
*निहचै राग द्वेष निरवारै,*
*ज्ञाता दोनों दान सँभारै।।*
*अर्थात -*संसार में चार प्रकार के दान औषधि दान, शास्त्र दान अथवा ज्ञान दान, अभयदान और आहरदान। परिग्रह से रहित ज्ञानी जन सभी को ज्ञानदान तथा अभयदान देते है।
३. *दोनों सँभारे कूप-जल सम,*
*दरब घर में परीनया।*
*निज हाथ दीजे साथ लीजे,*
*खाय खोया बह गया।।*
*अर्थात -*किसी कुँए में से यदि जल ना निकाला जाए तो वह खराब होने लगता है दान तो ऐसा है इस हाथ दो उस हाथ लो दिया गया अनंत गुना फलता है
१. *दान चार परकार,*
*चार संघ को दीजिए।*
*धन बिजली उनहार,*
*नर-भव लाहो लीजिए।।*
*अर्थात -*दान चार प्रकार के होते है और उसके पात्र भी चार तरह के होते हैं। धन बिजली के समान एक स्थान पर ठहरने वाला नहीं है,अतः इसका उपयोग मनुष्य को दान कार्य में करना चाहिए।
२. *उत्तम त्याग करो जग सारा,*
*औषध शास्त्र अभय आहारा।*
*निहचै राग द्वेष निरवारै,*
*ज्ञाता दोनों दान सँभारै।।*
*अर्थात -*संसार में चार प्रकार के दान औषधि दान, शास्त्र दान अथवा ज्ञान दान, अभयदान और आहरदान। परिग्रह से रहित ज्ञानी जन सभी को ज्ञानदान तथा अभयदान देते है।
३. *दोनों सँभारे कूप-जल सम,*
*दरब घर में परीनया।*
*निज हाथ दीजे साथ लीजे,*
*खाय खोया बह गया।।*
*अर्थात -*किसी कुँए में से यदि जल ना निकाला जाए तो वह खराब होने लगता है दान तो ऐसा है इस हाथ दो उस हाथ लो दिया गया अनंत गुना फलता है