सूतक-पातक
#1

 जन्म में निम्मित से होने वाली अशुद्धि को "सूतक" की संज्ञा दी है ।

- जन्म के बाद नवजात की पीढ़ियों को हुई अशुचिता :-
3 पीढ़ी तक - 10 दिन 
4 पीढ़ी तक - 10 दिन 
5 पीढ़ी तक - 6 दिन

ध्यान दें :- एक रसोई में भोजन करने वालों के पीढ़ी नहीं गिनी जाती ... वहाँ पूरा 10 दिन का सूतक माना है ।
- प्रसूति (नवजात की माँ) को 45 दिन का सूतक रहता है ।
- प्रसूति स्थान 1 माह तक अशुद्ध है । इसीलिए कई लोग जब भी अस्पताल से घर आते हैं तो स्नान करते हैं ।
- अपनी पुत्री :-
पीहर में जनै तो हमे 3 दिन का,
ससुराल में जन्म दे तो उन्हें 10 दिन का सूतक रहता है । और हमे कोई सूतक नहीं रहता है ।

- नौकर-चाकर :-
अपने घर में जन्म दे तो 1 दिन का,
बाहर दे तो हमे कोई सूतक नहीं ।

- पालतू पशुओं का :-
घर के पालतू गाय, भैंस, घोड़ी, बकरी इत्यादि को घर में बच्चा होने पर हमे 1 दिन का सूतक रहता है ।
किन्तु घर से दूर-बाहर जन्म होने पर कोई सूतक नहीं रहता ।

- बच्चा देने वाली गाय, भैंस और बकरी का दूध, क्रमशः 15 दिन, 10 दिन और 8 दिन तक "अभक्ष्य/अशुद्ध" रहता है ।
- सूतक-पातक की अवधि में "देव-शास्त्र-गुरु" का पूजन, प्रक्षाल, आहार आदि धार्मिक क्रियाएं वर्जित होती हैं ।
इन दिनों में मंदिर के उपकरणों को स्पर्श करने, यहाँ तक की गुल्लक में रुपया डालने का भी निषेध बताया है ।
-- किन्तु :- 
ये कहीं नहीं कहा कि सूतक-पातक में मंदिरजी जाना वर्जित है या मना है ।
- श्री जिनमंदिर जी में जाना, देव-दर्शन, प्रदिक्षणा, जो पहले से याद हैं वो विनती/स्तुति बोलना, भाव-पूजा करना, हाथ की अँगुलियों पर जाप देना जिनागम सम्मत है ।

- इस विषय को अधिक सूक्ष्म
ता से जानने के लिए त्रिवर्णाचारजी, धर्म-संग्रह श्रावकाचारजी, क्रियाकोष और सूतक-निर्णय जैसे शास्त्रों को पढ़ना चाहिए ।
Reply


Forum Jump:


Users browsing this thread: 1 Guest(s)