07-29-2022, 12:22 PM
श्रीमत्कुन्दकुन्दाचार्यविरचितः प्रवचनसारः
गाथा -6
संपज्जदि णिव्याणं देवासुरमणुयरायविहवेहिं /
जीवस्स चरित्तादो दसणणाणप्पहाणादो // 6 //
आगे श्रीकुंदकुंदाचार्य वीतराग-सरागचारित्रके उपादेय-हेयफलका खुलासा गाथासूत्रमें कहते हैं
[जीवस्य चरित्रात् निर्वाणं संपद्यते ] जीवको चारित्रगुणके आचरणसे मोक्ष प्राप्त होती है। कैसे चारित्रसे ? [ दर्शनज्ञानप्रधानात् ] सम्यग्दर्शन-ज्ञान हैं मुख्य जिसमें / किन विभूतियों सहित मोक्ष पाता है ? [ देवासुरमनुजराजविभवैः सह ] स्वर्गवासी देव, पातालवासी देव तथा मनुष्योंके स्वामियोंकी संपदा सहित / भावार्थ- चारित्र दो प्रकारका है, वीतराग तथा सराग /
वीतरागचारित्रसे मोक्ष होती है, इस कारण वीतराचारित्र आप मोक्षरूप है, और सरागचारित्रसे इंद्र, धरणेंद्र, चक्रवर्तीकी विभूतिस्वरूप बंध होता है, क्योंकि सरागचारित्र कषायोंके अंशोंके मेलसे आत्माके गुणोंका घात करनेवाला है | इस कारण आप बंधरूप है। इसीलिये ज्ञानी पुरुषोंको सरागचारित्र त्यागने योग्य कहा है, और वीतरागचारित्र ग्रहण करने योग्य कहा गया है
मुनि श्री प्रणम्य सागर जी
गाथा -6
संपज्जदि णिव्याणं देवासुरमणुयरायविहवेहिं /
जीवस्स चरित्तादो दसणणाणप्पहाणादो // 6 //
आगे श्रीकुंदकुंदाचार्य वीतराग-सरागचारित्रके उपादेय-हेयफलका खुलासा गाथासूत्रमें कहते हैं
[जीवस्य चरित्रात् निर्वाणं संपद्यते ] जीवको चारित्रगुणके आचरणसे मोक्ष प्राप्त होती है। कैसे चारित्रसे ? [ दर्शनज्ञानप्रधानात् ] सम्यग्दर्शन-ज्ञान हैं मुख्य जिसमें / किन विभूतियों सहित मोक्ष पाता है ? [ देवासुरमनुजराजविभवैः सह ] स्वर्गवासी देव, पातालवासी देव तथा मनुष्योंके स्वामियोंकी संपदा सहित / भावार्थ- चारित्र दो प्रकारका है, वीतराग तथा सराग /
वीतरागचारित्रसे मोक्ष होती है, इस कारण वीतराचारित्र आप मोक्षरूप है, और सरागचारित्रसे इंद्र, धरणेंद्र, चक्रवर्तीकी विभूतिस्वरूप बंध होता है, क्योंकि सरागचारित्र कषायोंके अंशोंके मेलसे आत्माके गुणोंका घात करनेवाला है | इस कारण आप बंधरूप है। इसीलिये ज्ञानी पुरुषोंको सरागचारित्र त्यागने योग्य कहा है, और वीतरागचारित्र ग्रहण करने योग्य कहा गया है
मुनि श्री प्रणम्य सागर जी