08-06-2014, 11:34 AM
हमारी जिनवाणी, भगवान के उपदेशों,को आचार्य समंतभद्र महाराज ने चार अनुयोगो -
१ -प्रथमानुयोग-जिसमे ६३ श्लाखा पुरषों के चरित्र का वर्णन है ,
२- करुयोणानुग- इसके अंतर्गत लोक,काल,गति आदि का,वर्णन है
३-चरणानुयोग- इसमें मुनियों और श्रावकों के आचरण का वर्णन है और
४- द्रव्यानुयोग - जीवादि सात तत्वों आस्रव,बंध,संवर,निर्जरा,मोक्ष का वर्णन है ,
में विभाजित करी है!
१ -प्रथमानुयोग-जिसमे ६३ श्लाखा पुरषों के चरित्र का वर्णन है ,
२- करुयोणानुग- इसके अंतर्गत लोक,काल,गति आदि का,वर्णन है
३-चरणानुयोग- इसमें मुनियों और श्रावकों के आचरण का वर्णन है और
४- द्रव्यानुयोग - जीवादि सात तत्वों आस्रव,बंध,संवर,निर्जरा,मोक्ष का वर्णन है ,
में विभाजित करी है!