दीपक के साथ कल्याण मन्दिर स्तोत्र

पारसनाथ भगवान का जन्म व तप कल्याणक पर दीपक के साथ कल्याण मंदिर स्तोत्र मुनि श्री 108 प्रणम्य सागर जी के द्वारा पद्यानुवाद कल्याणमन्दिर मुदार मवद्य-भेदि भीताभय प्रद-मनिन्दित मछि-पद्यम् । संसार-सागर निमज्ज दशेष-जन्तु पोतायमान मभिनम्य जिनेश्वरस्य ॥१ ॥ कल्याणों के मन्दिर दाता अभय प्रदाता हैं निर्दोष श्री जिनवर के चरण कमल ही जगत् पूज्य हर […]

इष्टोपदेश गाथा सं 6

आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज द्वारा पद्यानुवाद एवं विवेचना गाथा 1 | गाथा 2 | गाथा 3 | गाथा 4 | गाथा 5 गाथा 6 उत्थानिका–  इसी लौकिकसुख के स्वरूप सम्बन्धी कथन को आगे बढ़ाते हुए कहा जा रहा है कि यह सुख वासनामात्र है सुखाभास है- वासनामात्रमेवैतत् सुखं दुःखं च देहिनाम् । तथा ह्युद्वेजयन्त्येते भोगा […]

इष्टोपदेश गाथा सं 5

आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज द्वारा पद्यानुवाद एवं विवेचना गाथा 1 | गाथा 2 | गाथा 3 | गाथा 4 गाथा 5 उत्थानिका :  अब आगे वर्णन करते हुए आचार्य कहते हैं कि जिन भावों से मुक्ति मिलती है, उनसे यदि कदाचित् मुक्ति न भी मिल पाए तो स्वर्ग नियम से मिलता ही है। स्वर्ग मिलने […]

इष्टोपदेश गाथा सं 4

आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज द्वारा पद्यानुवाद एवं विवेचना गाथा 1 | गाथा 2 | गाथा 3 | गाथा 4 उत्थानिका – शंका का निराकरण करते हुए आचार्य बोले “व्रतादिकों का आचरण करना निरर्थक नहीं है” (अर्थात् सार्थक है)। इतनी ही बात नहीं, किन्तु आत्म भक्ति को अयुक्त बतलाना भी ठीक नहीं है। इसी कथन की […]

इष्टोपदेश गाथा सं 3

आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज द्वारा पद्यानुवाद एवं विवेचना गाथा 1 | गाथा 2 | गाथा 3 उत्थानिका – इस कथन को सुनकर शिष्य कहता है कि भगवन् । यदि सुयोग्य द्रव्य, क्षेत्र, काल, भाव रूप सामग्री मिलने मात्र से ही परमात्मस्वरूप की प्राप्ति होती है, तब फिर व्रत, समिति आदि का पालन करना निष्फल हो […]

इष्टोपदेश गाथा सं 2

आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज द्वारा पद्यानुवाद एवं विवेचना गाथा 1 गाथा 2 उत्थानिका-‘स्वयं स्वभावा प्तिः’ इस पद को सुनकर शिष्य के मन में जिज्ञासा हुई कि स्वयं ही स्वभाव की उपलब्धि किस उपाय से हो सकती है? इसको सिद्ध करने वाला कोई दृष्टान्त नहीं पाया जाता और बिना दृष्टान्त के किसी कथन को कैसे ठीक […]

इष्टोपदेश गाथा सं 1

आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज द्वारा पद्यानुवाद एवं विवेचना स्वाध्याय गाथा सं 1 & 2 उत्थानिका-ग्रन्थ के प्रारम्भ में मंगलाचरण स्वरूप प्रथम कारिका में आचार्य पूज्यपाद स्वामी ने सर्वप्रथम ‘परमात्मा’ को नमन किया है। जो जिस गुण की प्राप्ति की भावना करता है वह उन्हीं गुणयुक्त परमात्मा को नमन करता है। परमात्मा के गुणों को चाहने […]

Ishtopadesh

आचार्य पूज्यपादस्वामी विरचितः इष्टोपदेश आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज द्वारा पद्यानुवाद एवं विवेचना इष्टोपदेश गाथा 1 स्वयं स्वभावाप्तिरभावे कृत्स्नकर्मणः। यस्य तस्मै सञ्ज्ञानरूपाय नमोऽस्तु परमात्मने ॥१॥ अन्वयार्थ : जिनको सम्‍पूर्ण कर्मों के अभाव होने पर स्‍वयं ही स्‍वभाव की प्राप्ति हो गई है, उस सम्‍यग्‍ज्ञानरूप परमात्‍मा को नमस्‍कार हो । इष्टोपदेश गाथा 2 योम्योपादानयोगेन दृषदः स्वर्णता मता […]

Vardhman Stotra

श्री वर्धमान स्तोत्र – Muni Shri Pranamya Sagar 64 दीपक से रिद्धि मंत्रो के साथ श्री वर्धमान स्तोत्र  श्री वर्धमान जिनदेव पदारविन्द –युग्म-स्थितांगुलिनखांशु-समूहभासि।प्रद्योततेऽखिल-सुरेन्द्रकिरीट-कोटि:भक्त्या ‘प्रणम्य’ जिनदेव-पदं स्तवीमि ।।1।। वर्धमान जिनदेव युगल पद, लालकमल से शोभित है।  जिनके अंगुली की नख आभा, से सबका मन मोहित है।  देवो के मुकुटों की मणियाँ, नख आभा में चमक रही।  […]

Deepawali Puja

श्री दीपमालिका पूजन रचियता  पं. राजमल पवैया महावीर निर्वाण दिवस पर, महावीर पूजन कर लूँ । वर्धमान अतिवीर वीर सन्मति, प्रभु को वन्दन कर लूँ । पावापुर से मोक्ष गये प्रभु, जिनवर पद अर्चन कर लूँ । जगमग जगमग दिव्यज्योति से, धन्य मनुज जीवन कर लूँ । कार्तिक कृष्ण अमावस्या को, शुद्ध भाव मन से […]