आदिनाथ भगवान का मोक्ष कल्याणक

जैन धर्म में माघ कृष्ण चतुर्दशी को भगवान ऋषभदेव (आदिनाथ ) के निर्वाणोत्सव दिवस के रूप में मनाना एक अद्भुत परंपरा है और इस दिन भक्तगण उनकी अनुग्रह और आशीर्वाद के लिए पूजा-अर्चना करते हैं। आचार्य श्री चैत्य सागर जी महाराज के सानिध्य में 108 किलो का निर्वाण लाडू चढ़ाकर आदिनाथ भगवान का मोक्ष कल्याणक […]

Jain puja swastik meaning

स्वस्तिक का अर्थ

जैन पूजन थाली में स्वस्तिक बनाने का क्रम हे भगवन्! इस त्रन नाली में निगोद से स्वर्गों को यात्रा करते हुए (क्र.-1) अनादिकाल से चारों गतियों की 84 लाख योनियों में जन्म मरण कर रहा हूँ। (क्र.-2) खोटे कर्म करके कभी अधोगति नरक में गया हूँ। (क्र.-3) हे प्रभु! शक्ति देना कि ऐसे कार्य नहीं […]

Deepawali Puja

श्री दीपमालिका पूजन रचियता  पं. राजमल पवैया महावीर निर्वाण दिवस पर, महावीर पूजन कर लूँ । वर्धमान अतिवीर वीर सन्मति, प्रभु को वन्दन कर लूँ । पावापुर से मोक्ष गये प्रभु, जिनवर पद अर्चन कर लूँ । जगमग जगमग दिव्यज्योति से, धन्य मनुज जीवन कर लूँ । कार्तिक कृष्ण अमावस्या को, शुद्ध भाव मन से […]

जाप & जयमाला – शांतिनाथ विधान

प्रतिष्ठाचार्य ब्र. सूरजमल जैन पूजा प्रथम वलय द्वितीय वलय तृतीय वलय 1 से 16 अर्घ्य तृतीय वलय-17 से 32 अर्घ्य चतुर्थ वलय -1 से 16 अर्घ्य चतुर्थ वलय -17 से 32 अर्घ्य चतुर्थ वलय -33 से 48 अर्घ्य चतुर्थ वलय – 49 से 64 अर्घ्य जाप ॐ ह्रीं शाँतिनाथाय जगत् शाँतिकराय सर्वोपद्रवशांति कुरु कुरु ह्रीं […]

चतुर्थ वलय -49 से 64 अर्घ्य शांतिनाथ विधान

प्रतिष्ठाचार्य ब्र. सूरजमल जैन पूजा प्रथम वलय द्वितीय वलय तृतीय वलय 1 से 16 अर्घ्य तृतीय वलय-17 से 32 अर्घ्य चतुर्थ वलय -1 से 16 अर्घ्य चतुर्थ वलय -17 से 32 अर्घ्य चतुर्थ वलय -33 से 48 अर्घ्य दुर्लभ है तीर्थकर पदवी, भवन तीन में सोहै । सोलह कारण भावन अरु, जिन पूजन से वह […]

चतुर्थ वलय -33 से 48 अर्घ्य शांतिनाथ विधान

प्रतिष्ठाचार्य ब्र. सूरजमल जैन पूजा प्रथम वलय द्वितीय वलय तृतीय वलय 1 से 16 अर्घ्य तृतीय वलय-17 से 32 अर्घ्य चतुर्थ वलय -1 से 16 अर्घ्य चतुर्थ वलय -17 से 32 अर्घ्य ★ जोगी राशा ★ त्रिभुवन हितकर गुण मणि आकर शिव सुखदायक तुम हो । तीर्थकर चक्रीपद भूषित कामदेव भी तुम हो ॥ चरण […]

चतुर्थ वलय -17 से 32 अर्घ्य शांतिनाथ विधान

प्रतिष्ठाचार्य ब्र. सूरजमल जैन पूजा प्रथम वलय द्वितीय वलय तृतीय वलय 1 से 16 अर्घ्य तृतीय वलय-17 से 32 अर्घ्य चतुर्थ वलय -1 से 16 अर्घ्य ★ गीता-छन्द ★ कल्पान्त काल प्रचंड वायु वेग से जब चलत है | कांपे सुभूधर वृक्ष टूटे नीर निधि भी हलत है || श्री शान्तिनाथ जिनेश के पद कमल […]

चतुर्थ वलय -1 से 16 अर्घ्य शांतिनाथ विधान

पूजा प्रथम वलय द्वितीय वलय तृतीय वलय 1 से 16 अर्घ्य तृतीय वलय-17 से 32 अर्घ्य चतुर्थ वलय भुजंग प्रयास हुआ दोष मेरे विकारी जो मन से । हुई व्याधि जिनवर जी उसही अघन से | तद् विघ्न नाशक हो शान्ति जिनेश्वर । नमो भक्ति पूजे हो मुक्ति ह्रदेश्वर ।। ॐ ह्रीं श्री मानसिक पापोद्भवोपद्रवनिवारकाय […]

तृतीय वलय-17 से 32 अर्घ्य शांतिनाथ विधान

पूजा प्रथम वलय द्वितीय वलय तृतीय वलय 1 से 16 अर्घ्य तृतीय वलय-17 से 32 अर्घ्य निजतिरिया सह भूतेन्दर भी शीघ्र हो हर्षित आवे । हेम थाल में द्रव्य सजाकर, पूजे शीष नमावे ।। शान्तिनाथ पंचम चक्रीश्वर, द्वादश काम सुदेवा । षोड़स तीर्थकर हम पूजे होवें संस्कृति छेवा ॥ ॐ ह्रीं श्री मूतेन्द्रेण स्वपरिवार सहितेन […]

सुगन्ध दशमी मण्डल विधान

मङ्गलाचरण । श्री सन्मति को आदि ले, अवसाने महावीर । चौबीसों जिनपति नमों, कटे कर्म जंजीर ॥ 1 ॥ गुरु गौतम वन्दन करूं, होय बुद्धि अमलान । सप्त-भंगि वाणी नमों, सकल सु मंगल दान ॥ 2 ॥ जिन शासन में व्रत कहे, एक शतक वसु जान । उनके उत्तम फल कहे, गति विधि को पहिचान […]