त्रिभंगी छंद
यह वृक्ष अशोका, करे विशोका, सुन्दर शोभा पावत हैं । मणियां सब चमके, सूर्य भी दमके, जिन का मान बढ़ावत हैं ।।
महावीर सरोवर, कल्प तरुवर, वांछा पूरी करते हो । छाया में बैठँ, तुमको देखेँ, झोली सब की भरते हो ।।5।।
ॐ ह्रीं अर्ह श्री अशोक वृक्ष प्रातिहार्य गुण सहित अरहंत परमेष्ठिने नमः अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।
प्रभु के सिर ऊपर, छत्र है ता पर, तीन लोक के नाथ बने। जग महिमा गाये, कष्ट हटाए, करुणा सागर आप बने ||
महावीर सरोवर, कल्प तरुवर, वांछा पूरी करते हो । छाया में बैठँ, तुमको देखेँ, झोली सब की भरते हो ||16||
ॐ ह्रीं अर्ह श्री त्रिछत्र प्रातिहार्य गुण सहित अरहंत परमेष्ठिने नमः अयं निर्वपामीति स्वाहा।
रत्नों की ज्योति, ज्ञान के मोती, सिंहासन में शोभ रहे। तुम अधर विराजे, शोभा साजे, आतम का नित बोध रहे ।।
महावीर सरोवर, कल्प तरुवर, वांछा पूरी करते हो । छाया में बैठँ, तुमको देखेँ, झोली सब की भरते हो ।। 17 ।।
ॐ ह्रीं अर्हं श्री सिंहासन प्रातिहार्य गुण सहित अरहंत परमेष्ठिने नमः अध्य निर्वपामीति स्वाहा।
ध्वनि दिव्य सुनाए, मार्ग बताए, तत्वों का उपदेश दिया। सबकी निज भाषा, ज्ञान की आशा, कथन आपके पूर्ण किया ।।
महावीर सरोवर, कल्प तरुवर, वांछा पूरी करते हो । छाया में बैठँ, तुमको देखेँ, झोली सब की भरते हो ।।8।।
ॐ ह्रीं अर्हं श्री दिव्य ध्वनि प्रातिहार्य गुण सहित अरहंत परमेष्ठिने नमः अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।
ये दुन्दुभि बाजे, जय-जय काजे, प्रभु संदेश सुनावत हैं। कहें आपकी महिमा, आपकी गरिमा, भव्यों को बतलावत हैं ।।
महावीर सरोवर, कल्प तरुवर, वांछा पूरी करते हो । छाया में बैठँ, तुमको देखेँ, झोली सब की भरते हो
।।9।।
ॐ ह्रीं अर्हं श्री दुंदुभि प्रातिहार्य गुण सहित अरहंत परमेष्ठिने नमः अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा |
शुभ सुमन भी बरसे, पापी तरसे, ऐसी थी शोभा न्यारी । तुम सुयश सु गाया, मन को भाया, शोभा पाए त्रिपुरारी ।।
महावीर सरोवर, कल्प तरुवर, वांछा पूरी करते हो । छाया में बैठँ, तुमको देखेँ, झोली सब की भरते हो । ।10।।
ॐ ह्रीं अर्हं श्री पुष्प वृष्टि प्रातिहार्य गुण अरहंत परमेष्ठिने नमः अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।
हैं कोटि भास्कर ओर निशाकर, भामण्डल से हार गया। निज दर्श दिखाये, भव बतलाए, अष्ट कर्म का भार गया ।।
महावीर सरोवर, कल्प तरुवर, वांछा पूरी करते हो । छाया में बैठँ, तुमको देखेँ, झोली सब की भरते हो ।।11।।
ॐ ह्रीं अर्ह श्री भामंडल प्रातिहार्य गुण सहित अरहंत परमेष्ठिने नमः अध्य निर्वपामीति स्वाहा |
सुर चमर दुराएं, शोभा पाएं, चन्दा जैसे चमक रहे । प्रभु की शुभ कांति, तोड़े भ्रान्ति, सूरज सम प्रभु दमक रहे ।।
महावीर सरोवर, कल्प तरुवर, वांछा पूरी करते हो । छाया में बैठँ, तुमको देखेँ, झोली सब की भरते हो ।।12।।
ॐ ह्रीं अर्ह श्री चौंसठ चंवर प्रातिहार्य गुण सहित अरहंत परमेष्ठिने नमः अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।
प्रातिहार्य सँग शोभित हुये, पा के तुम्हारा तेज ।
अतिशय की बरसात हो, करूं आपकी सेव । ।
पूर्णार्घ्यं (दोहा)
This Ashoka tree, dispels sorrow, adorned with beautiful splendor. All the gems sparkle, even the sun shines brighter, enhancing the prestige of the Jina.
Mahavir Sarovar, wish-fulfilling tree, fulfills desires. Sitting in the shade, beholding you, everyone’s wishes are fulfilled. ।।5।।
Om Hreem, offering to the Ashoka tree with admirable qualities, along with the Arhat Parameshthi Lord Mahavir, may the arghya be accepted.
Above the Lord’s head, there is a canopy, becoming the lord of the three worlds. Singing the glory of the world, removing sorrows, you became the ocean of compassion.
Mahavir Sarovar, wish-fulfilling tree, fulfills desires. Sitting in the shade, beholding you, everyone’s wishes are fulfilled.।।6।।
Om Hreem, I bow to Lord Mahavira, the omniscient and liberated soul. May this offering be made in your honor, bestowing your divine qualities upon us. So be it.
Ratnon ki jyoti, gyan ke moti, sinhasan mein shobha rahe. Tum adhar viraaje, shobha saaje, aatma ka nit bodh rahe.
Mahavir Sarovar, kalp taruvar, vaanchha poori karte ho. Chhaya mein baithen, tumko dekhen, jholi sab ki bharate ho. ।।17।।
Om Hreem, offering to the throne of Lord Mahavir, adorned with qualities, may the arghya be accepted.
The divine sound resonates, showing the path, imparting the teachings of the principles. Speaking everyone’s own language, the hope of knowledge, you fulfilled the complete discourse.
Mahavir Sarovar, wish-fulfilling tree, fulfills desires. Sitting in the shade, beholding you, everyone’s wishes are fulfilled. ।।8।।
Om Hreem, offering to the divine sound with qualities, along with the Arhat Parameshthi Lord Mahavir, may the arghya be accepted.
These drums are playing, proclaiming victory, conveying the Lord’s message. Declaring your glory, your magnificence, you reveal it to the splendid ones.
Mahavir Sarovar, wish-fulfilling tree, fulfills desires. Sitting in the shade, beholding you, everyone’s wishes are fulfilled. ।।9।।
Om Hreem, offering to the drum with qualities, along with the Arhat Parameshthi Lord Mahavir, may the arghya be accepted.
Shubh Suman also showers, the sinner despairs, such was the divine beauty. You sang your own glory, pleasing the mind, Trikala Jina, you achieved splendor.
Mahavir Sarovar, wish-fulfilling tree, fulfills desires. Sitting in the shade, beholding you, everyone’s wishes are fulfilled. ।।10।।
Om Hreem, offering to the shower of flowers with qualities, to the Arhat Parameshthi Lord Mahavir, may the arghya be accepted.
“Hai koti bhaskar aur nishakar, bhamandal se haar gaya. Nij darsh dikhaye, bhav batlaye, ashta karm ka bhaar gaya.
Mahavir Sarovar, kalp taruvar, vaanchha poori karte ho. Chhaya mein baithen, tumko dekhen, jholi sab ki bharate ho. ।।11।।
Om Hreem arh shri bhamandal pratiharay gun sahit arhant parameshthinay namah adhy nirvapamiti swaha.
Sur chamar duraaye, shobha paaye, chanda jaise chamak rahe. Prabhu ki shubh kaanti, tode bhranti, suraj sam prabhu damak rahe. ।।
Mahavir Sarovar, kalp taruvar, vaanchha poori karte ho. Chhaya mein baithen, tumko dekhen, jholi sab ki bharate ho. ।।12।।
Om Hreem arh shri chaunsath chavar pratiharay gun sahit arhant parameshthinay namah arghyam nirvapamiti swaha.
Pratiharay sang shobhit huye, pa ke tumhara tej. Atishay ki barsaat ho, karun aapki seva.
Purnarhgyam (Doha)
श्री महावीर विधान – स्वस्ति भूषण माताजी
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