षष्टम् वलय – Shri Mahaveer Vidhan

स्थापना – श्री महावीर विधान प्रथम वलय द्वितीय वलय तृतीय वलय चतुर्थ वलय पंचम वलय त्रिशंत गुण अर्घ्यावली (तर्ज शेर चाल) संसार के डर आपसे, डर कर हैं भागे । मेरे भी भय को दूर करो, आत्म में जागे  ।। 79 ।। ॐ ह्रीं भय रहित सुख प्राप्ताय श्री महावीर जिनेन्द्राय नमः अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा। […]

पंचम वलय – Shri Mahaveer Vidhan

स्थापना – श्री महावीर विधान प्रथम वलय द्वितीय वलय तृतीय वलय चतुर्थ वलय वीर गुण अर्घ्यावली (दोहा) तीन लोक को देखते, दृष्टा आतम राम । यह शक्ति मुझको मिले, बारंबार प्रणाम ।। 47।। ॐ ह्रीं ज्ञान चक्षु प्राप्ताय श्री महावीर जिनेन्द्राय नमः अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा । अक्षर सम अक्षय हुऐ, अक्षर हैं भगवान । भक्त […]

चतुर्थ वलय – Shri Mahaveer Vidhan

स्थापना – श्री महावीर विधान प्रथम वलय द्वितीय वलय तृतीय वलय 18 महादोष रहित अर्ध्यावली चौपाई छंद चारों गति में भूख सताये, प्रभो आपके पास न आये। चरण आपके पूजू वीरा, हरुँ वेदना पाऊंगा तीरा । ।। 29 ।। ॐ ह्रीं क्षुधा महादोष रहित श्री महावीर जिनेन्द्राय नमः अर्घ्य निर्वपामीति स्वाहा। लगी प्यास पानी पीते […]

तृतीय वलय – Shri Mahaveer Vidhan

स्थापना – श्री महावीर विधान प्रथम वलय द्वितीय वलय षोडस कारण भावना गुण अर्ध्यावली चाल छंद (ऐ मेरे वतन के ) दर्शन को सम्यक कीना, सम्यक दर्शन पा लीना । जड़ चेतन भेद को जाना, चेतन का ध्यान लगाना ।।13।। ॐ ह्रीं दर्शन विशुद्धि गुण युक्त श्री महावीर जिनेन्द्राय नमः अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा । थे […]

द्वितीय वलय – Shri Mahaveer Vidhan

स्थापना – श्री महावीर विधान प्रथम वलय अष्ट प्रातिहार्य युक्त वीर अर्ध्यावली त्रिभंगी छंद यह वृक्ष अशोका, करे विशोका, सुन्दर शोभा पावत हैं । मणियां सब चमके, सूर्य भी दमके, जिन का मान बढ़ावत हैं ।। महावीर सरोवर, कल्प तरुवर, वांछा पूरी करते हो । छाया में बैठँ, तुमको देखेँ, झोली सब की भरते हो […]

प्रथम वलय – Shri Mahaveer Vidhan

स्थापना – श्री महावीर विधान अनन्त चतुष्टय गुण अर्ध्यावली चौपाई दर्शन में कुछ नहीं बचा है, सर्व लोक उसमें झलका है। सब कुछ देखें चिंता नाहिं, रहते हैं निज आतम मांहि ।। हमें भी ऐसी शक्ति देना, देखें पर कुछ नहीं है लेना । कर्त्ता भोक्ता बुद्धि छूटे, पूजा से बंधन भी छूटे ।।1।। ॐ […]

Shri Mahaveer Vidhan

श्री महावीर विधान स्वस्ति भूषण माताजी Swastibhushan Mataji स्थापना (शंभू छंद) अंतिम तीर्थंकर महावीर, भक्तों के तारण हार बने । हे महापुरुष हे अतिवीर, भक्तों के पालनहार बने ।। शब्दों के द्वारा स्तुति हम, पूरी प्रभु ना गा सकते हैं । कुछ भक्ति सुमन सजा लाये, चरणों में अर्पित करते हैं ।। दोहा लक्ष्य मोक्ष […]

जाप & जयमाला – शांतिनाथ विधान

प्रतिष्ठाचार्य ब्र. सूरजमल जैन पूजा प्रथम वलय द्वितीय वलय तृतीय वलय 1 से 16 अर्घ्य तृतीय वलय-17 से 32 अर्घ्य चतुर्थ वलय -1 से 16 अर्घ्य चतुर्थ वलय -17 से 32 अर्घ्य चतुर्थ वलय -33 से 48 अर्घ्य चतुर्थ वलय – 49 से 64 अर्घ्य जाप ॐ ह्रीं शाँतिनाथाय जगत् शाँतिकराय सर्वोपद्रवशांति कुरु कुरु ह्रीं […]

चतुर्थ वलय -49 से 64 अर्घ्य शांतिनाथ विधान

प्रतिष्ठाचार्य ब्र. सूरजमल जैन पूजा प्रथम वलय द्वितीय वलय तृतीय वलय 1 से 16 अर्घ्य तृतीय वलय-17 से 32 अर्घ्य चतुर्थ वलय -1 से 16 अर्घ्य चतुर्थ वलय -17 से 32 अर्घ्य चतुर्थ वलय -33 से 48 अर्घ्य दुर्लभ है तीर्थकर पदवी, भवन तीन में सोहै । सोलह कारण भावन अरु, जिन पूजन से वह […]

चतुर्थ वलय -33 से 48 अर्घ्य शांतिनाथ विधान

प्रतिष्ठाचार्य ब्र. सूरजमल जैन पूजा प्रथम वलय द्वितीय वलय तृतीय वलय 1 से 16 अर्घ्य तृतीय वलय-17 से 32 अर्घ्य चतुर्थ वलय -1 से 16 अर्घ्य चतुर्थ वलय -17 से 32 अर्घ्य ★ जोगी राशा ★ त्रिभुवन हितकर गुण मणि आकर शिव सुखदायक तुम हो । तीर्थकर चक्रीपद भूषित कामदेव भी तुम हो ॥ चरण […]