चतुर्थ वलय -17 से 32 अर्घ्य शांतिनाथ विधान

प्रतिष्ठाचार्य ब्र. सूरजमल जैन पूजा प्रथम वलय द्वितीय वलय तृतीय वलय 1 से 16 अर्घ्य तृतीय वलय-17 से 32 अर्घ्य चतुर्थ वलय -1 से 16 अर्घ्य ★ गीता-छन्द ★ कल्पान्त काल प्रचंड वायु वेग से जब चलत है | कांपे सुभूधर वृक्ष टूटे नीर निधि भी हलत है || श्री शान्तिनाथ जिनेश के पद कमल […]

चतुर्थ वलय -1 से 16 अर्घ्य शांतिनाथ विधान

पूजा प्रथम वलय द्वितीय वलय तृतीय वलय 1 से 16 अर्घ्य तृतीय वलय-17 से 32 अर्घ्य चतुर्थ वलय भुजंग प्रयास हुआ दोष मेरे विकारी जो मन से । हुई व्याधि जिनवर जी उसही अघन से | तद् विघ्न नाशक हो शान्ति जिनेश्वर । नमो भक्ति पूजे हो मुक्ति ह्रदेश्वर ।। ॐ ह्रीं श्री मानसिक पापोद्भवोपद्रवनिवारकाय […]

तृतीय वलय-17 से 32 अर्घ्य शांतिनाथ विधान

पूजा प्रथम वलय द्वितीय वलय तृतीय वलय 1 से 16 अर्घ्य तृतीय वलय-17 से 32 अर्घ्य निजतिरिया सह भूतेन्दर भी शीघ्र हो हर्षित आवे । हेम थाल में द्रव्य सजाकर, पूजे शीष नमावे ।। शान्तिनाथ पंचम चक्रीश्वर, द्वादश काम सुदेवा । षोड़स तीर्थकर हम पूजे होवें संस्कृति छेवा ॥ ॐ ह्रीं श्री मूतेन्द्रेण स्वपरिवार सहितेन […]

रत्नत्रय विधान

Ratnatray Vidhan पंडित टेकचंद विरचित (रत्नत्रय उद्यापन) प्रस्तावना बेसरीछन्द सरधो जानो पालो भाई, तीनों में कर राग जुदाई । लैं लै नीका द्रव्य सुसारा, पूजे पाओ मोक्षागारा ॥ नाराच छन्द भला सुज्ञान दर्शना- चरित्तरा सुसार है। भवसमुद्रनाव मोक्ष-पन्थ का अधार है । यही जु पन्थ सिद्धि का, नहीं जु और जानिये । जजों सुदर्श ज्ञान […]

सुगन्ध दशमी मण्डल विधान

मङ्गलाचरण । श्री सन्मति को आदि ले, अवसाने महावीर । चौबीसों जिनपति नमों, कटे कर्म जंजीर ॥ 1 ॥ गुरु गौतम वन्दन करूं, होय बुद्धि अमलान । सप्त-भंगि वाणी नमों, सकल सु मंगल दान ॥ 2 ॥ जिन शासन में व्रत कहे, एक शतक वसु जान । उनके उत्तम फल कहे, गति विधि को पहिचान […]

उत्तम क्षमा धर्म 

महावीर जैन मंदिर सिविल लाइन्स जयपुर मैं दसलक्षण पूजा बड़े धूमधाम से की गई , यहाँ पर दिगम्बर जैन समाज के सभी लोग श्रद्धा भक्ति से जिन आराधना करते हैं | आज पहले दिन उत्तम क्षमा पूजन का अर्घ चढ़ाया गया , इस दसलक्षण पर्व बिना किसी दिखावे के भावो से श्रावक-श्राविका भगवान के गुणो […]

तृतीय वलय शांतिनाथ विधान

पूजा प्रथम वलय द्वितीय वलय अथ तृतीय वलय जोगीराश ३२ अर्ध्य इन्द्र चतुर्विध काय जिनालय, भक्ति भाव से आवे । संघ में लावे निज परिकर को, मन में हर्ष बढ़ावे ॥ सम्यक दर्शन जिन पूजन से होवे पावन भाई । पद पंकज को पूजो याते, शांतिनाथ जिन राई ॥ इति पुष्पांजलि क्षिपेत्. दोहा – देव […]

प्रथम वलय शांतिनाथ विधान

पूजा अडिल्ल छन्द स्ववर्गों से प्राप्त सदा पिंडाक्षर । अग्नि बिन्दु से युक्त सकल षड अक्षर ।।हम पूजे हं बीज सहित जिन देव को । शांतिनाथ प्रभु कर्म हरि सुख देव को ||1|| ॐ ह्रीं श्री शाँतिनाथाय अशोक तरु सत्प्रातिहार्य मंडिताय शोभनपद प्रदाय हम्ल्व्य्रू बीजाय सर्वोपद्रवशांतिकराय जलादि अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ||1|| स्ववर्गों से प्राप्त सदा […]

द्वितीय वलय शांतिनाथ विधान

प्रतिष्ठाचार्य ब्र. सूरजमल जैन पूजा प्रथम वलय द्वितीय वलय त्रिभङ्गी छन्द १६ अर्ध्य शाश्वत दर्शन ज्ञान सुखामृत बल अनन्त प्रभु धारत है । योग रूढ़ हो आत्म महाबल घातिकर्म को टारत है ॥ ऐसे जिनवर शाँति प्रभु को इन्द्र यतीन्द्र नरेन्द्र भजे । हम पूजें उन पद पंकज को रोग शोक दारिद्र भजे ||1|| ॐ […]

श्री शांतिनाथ मण्डल विधान

श्री शांतिनाथ मण्डल विधान पूजन

प्रतिष्ठाचार्य ब्र. सूरजमल जैन स्थापना गीत आवो आवो नाथ मेरे तिष्ट इस शुभ मंडले । संसार बन्धन तोड़ने को बैठिये हृदये भले |  नाम शान्तिनाथ है शुभ शान्ति के दाता सदा ।   हे नाथ हम पूजें चरण तव होत याते भव विदा || ॐ ह्रीं श्री शांतिनाथ सर्व कर्म बन्धन बिमुक्त सकल शान्तिकम् सम्पूर्णोत्तम हे […]